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Tuesday, 31 March 2015

Pataa Ek....





मेरी तेरी 'दुनिया' कोई अलग तो नहीं,

फिर मैं तुम्हारा पता/ तुम मेरा पता/ क्यों पूछें,

ये कुछ कदम मंजिल , चलो हाथ में हाथ डाले चलते हैं, 

आने का पता चाहे कुछ भी....

इस ‘संसार’ के बाद का पता,

तेरा मेरा एक ही....

© 2012 कापीराईट केप्टन सेमन्त हरीश 'देव'

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