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Monday, 9 September 2013

इश्क तू.....!

फिर ढलती शाम सूरज की रूह, रात के आगोश उतरी....
इश्क तू...!  खुदा में खुद को डूबोने जैसा.......
इबादत जैसे...

4 comments:

  1. इश्क इबादत है ...
    खुदा के करीब आने के लिए
    मन्नतें नहीं -
    मुहब्बतों की ज़रुरत होती है ....

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  2. Tujhmein rab deekhta hai...
    Sajde...sarr jhukta hai...
    Yaara main kya karoon....

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  3. बहुत ख़ूब इश्क़ जिसे हो बह ही समझ सकता है......

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  4. बिल्कुल सच वाह गहरी बात

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